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335 / हीर / वारिस शाह

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असीं सहतीए डरिये ना मूल तैथों तिखे दीदड़े<ref>दर्शन</ref> तैंडड़े सार<ref>लोहा</ref> दे नी
हाथी नहीं तसवीर दा किला ढाहे शेर फवियां<ref>गीदड़</ref> तों नहीं हार दे नी
कहे कावां दे ढोर ना कदी मोए भूंड अखियां कदे ना मारदे नी
फट हैन लड़ाई दे असल ढाई होर कूड़ पसार पसार दे नी
इके मारना इके ते आप मरना इके नठ जाना अगे सार दे नी
हिंमत सुसत बरूत<ref>मूछें</ref> शुकीन भारे ओह गभरू किसे न कार दे नी
बन्ह तोरिये जंग नूं एक करके सगों अगलयां नूं पिछों मारदे नी
सड़न कपड़े होन तहकीक काले जेहड़े गोशटी<ref>पत्थर</ref> हीन लुहार दे नी
झूठियां सेलियां नाल ना जोग हुंदा पथर गले ना लान फुहार दे नी
खैर दितयां माल ना होवे थोड़ा बोहल थुड़े ना चुगे गुटार<ref>पक्षी का नाम</ref> दे नी
जदों चूहड़ेनूं जिन्न चा करे खजल झाड़ा करीदा नाल पैज़ार<ref>जूती</ref> दे नी
तैं तां फिकर कीता साडे मारने दा तैनूं वेख लै यार हुण मारदे नी
जेहा करे कोई तेहा पांवदा ए सचे वायदे परवदगार दे नी
वारस शाह मियां रन्न भौंकनी नूं फकर पा जड़ियां<ref>जूतिआं</ref> चा मारदे नी

शब्दार्थ
<references/>