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352 / हीर / वारिस शाह

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एह रसम कदीम है जोगियां दी ओहनूं मारदे ने जेहड़ी टुरक दी ए
खैर मंगदे दियां फकीर ताई अगे कुतयां दे वांग घुरकदी ए
एह खसम नूं खान नूं किवें दसी जेहड़ी खैर देंदी पई झुरकदी ए
एक पेरनी के अहलवाननी ए इके कंजरी ए किसे तुरक दी ए
पहले फूक के अग मताबियां नूं पिछों सरद पानी वेख बुरकदी ए
रन्न गुंडी नूं जिथों पैजार<ref>जूती</ref> वजन ओथों चुप चुपीतड़ी सुरकदी ए
इक झट दे नाल मैं पट लैणी जेहड़ी जुलफ गलां उते लुटकदी ए
सयाने जानदे ने धनी जाय झोटी जेहड़ी साहन दी मुतरी खुरकदी ए
फकर जान मगन खैर भुखे मरदे अगों सगां<ref>कुत्ता</ref> वांगूं पई दुरकदी ए
लंडी वैहड़ नूं खेतरी हथ आई पई उपरों उपरों मुरकदी ए
वारस शाह वांगूं सानं रन्न खचरी अख विच ज्यों कुकरे रूड़कदी ए

शब्दार्थ
<references/>