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358 / हीर / वारिस शाह

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लख वैदगी वैद लगा थक्के धुरों टुटड़ी किसे ना जोड़नी वे
जिथे कलम तकदीर दी वग चुकी किसे वैदगी नाल ना जोड़नी वे
जिस कम्म विच वौहटड़ी होवे चगी सोई खैर असां हुण लोड़नी वे
वारस शाह अजार<ref>हथियार</ref> होर सब मुड़दे एह तकदीर ना किसे ने मोड़नी वे

शब्दार्थ
<references/>