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384 / हीर / वारिस शाह
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भाबी! जोगी दे वडे कारने नी गलां नहीं सुनियां कन्न पाटयां दीयां
रोक बन्ह पल दुध दही पीवन वडिया चाटिया जोड़दे आटयां दीयां
गिठ गिठ नाखुन वाले रिछां वांगू पलमन लछियां लागड़ा पाटयां दीयां
वारस शाह एह मसत के पाट लथा रगां किरलयां वाग हनगाटयां दीयां
शब्दार्थ
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