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398 / हीर / वारिस शाह
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लड़े जट ते कुटीए डूम नाई सिर जोगीड़े दे गल आइयां ई
आ कढीए वढीए एह फसता जग धूड़ काई एस पाइया ई
एस मार मंतर वैर पा दिता चानचक दी पई लड़ाइयां ई
हीर नहीं खांदी मार असां कोलों वारस गल फकीर ते आइयां ई
शब्दार्थ
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