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428 / हीर / वारिस शाह

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दोवें मरद सवारियां रावले ने पंज सत पहौड़ियां लाइयां सू
गलांह पुट के चोलियां करे लीरां हिकां भन्न के लाल कराइयां सू
नाले तोड़ झंझोड़ के पकड़ गुतों दोवें वेहड़े दे वचि भवाइयां सू
खोह चूंडियां गलां ते मार नौहदर दो धौन दे मुढ चा लाइयां सू
जेहा रिछ कलंदरां घोल हुंदा सोटे चितड़ी ला नचाइयां सू
गिटे लक ठकोर के पकड़ तरगो<ref>जानवर के चूतड़</ref> दोवें बांदरी वांग टपाइयां सू
जोगी वासते रब्ब दे बस कर जाह हीरे अंदरों आख छुडाइयां सू

शब्दार्थ
<references/>