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466 / हीर / वारिस शाह
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करे जिन्हां दी रब्ब हमायतां नी हक तिन्हां दा खूल मामूल<ref>नित-प्रति</ref> कीता
जदों मुशरिकां<ref>काफिर</ref> आन सवाल कीता तदों चन्न दो खन्न<ref>दो टुकड़े</ref> रसूल कीता
कढ पधरो ऊठनी रब्ब सचे करामात पगम्बरी मूल कीता
वारस शाह जां कशफ<ref>भेद</ref> वखा दिता तदों जटी ने फकर कबूल कीता
शब्दार्थ
<references/>