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488 / हीर / वारिस शाह
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भाबी अज जोबन तेरे लहर दितो जिवें नदी दा नीर उछलया ए
कुफल<ref>ताला</ref> जंदरा तोड़ के चोर वड़या अज बीड़ा कसतूरी दा हलया ए
सुहा घगरा लहरां दे नाल उडे वेग बद दोचंद हो चलया ए
सुरखी होंठां दी किसे ने चूप लई अंब सगना मोड़ के घलया ए
कस्तूरी दे मिरग जिस ढाह लए कोई नवां हीरा आन मलया ए
वारस शाह तैनूं पिछों आन मिलीया इक नवां ही कोई सहड़या ए
शब्दार्थ
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