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495 / हीर / वारिस शाह

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कही छिंज<ref>तमाशा</ref> घती अज तुसां भैणां खुआर कीता जे मैं निघर जांदड़ी नूं
भइआं पिटड़ी कदों मैं गई किते किओं उडाया जे मैं मुनस-खांदड़ी<ref>खसमखानी</ref> नूं
छज छाननी घत उडाया जे मापे पिटड़ी ते लुड जांदड़ी नूं
सैदे खेड़ी दे ढिड विच सूल होया सदन गई सां मैं किसे मांदरी<ref>मंत्र पढ़ने वाला</ref> नूं

शब्दार्थ
<references/>