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508 / हीर / वारिस शाह
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हाथि फौज दा वडा शिंगार हुदा अते घोडे शिंगार ने दलां दे नी
अछा पहरना खावना शान शौकत एह सभ बिना ने जरां दे नी
घोड़े खान खटन करामात करदे अखि वेखदया जान बिन परां दे नी
मझां गाई शिंगार ने सथ तले अते नूंहां शिंगार ने घरां दे नी
खैरखाह दे नाल बदखाह<ref>बुरा मांगने वाला</ref> होना एह कम है कुतयां खरां<ref>खोते</ref> दे नी
मशहूर है रसम जहान अंदर पयार बहुटियां दे नाल वरां दे नी
दिल औरतां लैण पयार कर के एह गभरू मिरग ने सरां दे नी
तदों रन्न बदखाह<ref>बुरा चाहने वाली</ref> नूं अकल आवे जदों लत लगे विच फरां<ref>हड्डियाँ</ref> दे नी
वारस शाह उह इक ना कसी हुंदे जिन्हां वैर कदीम थीं जड़ां दे नी
शब्दार्थ
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