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512 / हीर / वारिस शाह
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नूंहां होंदियां ख्याल जो पेखने<ref>तमाशा</ref> दा मान मतियां वूह दियां महरियां ने
परी मूरतां सुघड़ राजइंद्रां<ref>इंद्र की प्रेमिकाएं</ref> चंदरानी इक मोम तबा<ref>स्वभाव</ref> इक नहरियां ने
इक करम बाग दीयां मोरनीया इक नरम मलूक इक जहरियां ने
अछा खाण पीवण लाड नाल चलन लैन देन दे विच लडहीरियां ने
बाहर फिरन जो बाहर दियां वाहना ने शरम विच वहालिया शहरियां ने
वारस शाह इक हुसन गुलाम लद अखी नाल गुलाम गहरियां ने
शब्दार्थ
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