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549 / हीर / वारिस शाह
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रांझे हथ उठायके दुआ मंगी रब्बा मेलना यार गवारनी<ref>देहाती औरत भाव सहती से है</ref> दा
एस हुब<ref>प्रेम</ref> दे नाल है कम्म कीता वेड़ा पार करना कम सारनी दा
पंजां पीरां दी तुरत आवाज होई रब्बा यार मेलीं इस यारनी दा
फजल रब्ब कीता यार आन मिलया वारस शह मुराद पुकारनी दा
शब्दार्थ
<references/>