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563 / हीर / वारिस शाह

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रांझा आखदा पुछो खां एह छापा किथों दामन नाल चमेड़या जे
राह जांदड़े किसे ना पैन चंबड़े एह भूतना किथों सहेड़या जे
सारे मुलक एह झगड़दा पया फिरदा किसे हटकया ते नहीं होड़या जे
वारस शाह कुसंभे दे फोग वांगूं ओहदा उड़का रसा नचोड़या जे

शब्दार्थ
<references/>