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574 / हीर / वारिस शाह

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आह आशकां दी सुण अग मची वेख रब्ब दीयां बेपरवाहियां नूं
लगी अग चैतरफ जां शहर सारे कीता साफ सभ झुगियां झादियां नूं
सारे देश विच धुम्मते शोर होया खबरां पहुचियां पांधियां राहियां नूं
लोकां आखया फकर बद्दुआ दिती राजे भेजयां तुरत सिपाहियां नूं
पकड़ खेड़े करो हाजर नही जानदे जबत<ref>कानून</ref> बादशाहियां नूं
चलो होवे हाजर खेड़े फड़े ने वेख लै काहियां नूं
वारस शाह सूम-सलवात<ref>दुआ के लिए रोज़ा-नमाज़ रखना</ref> दी पुछ होई एहनां दीन ईमान उगाहियां नूं

शब्दार्थ
<references/>