भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

68 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जेता मामले पैन तां नस जाएं इशक जालना खरा दुहेलड़ा<ref>मुश्किल</ref> ई
सच आखना ई हुने आख मैंनूं एहो सच ते झूठ दा वेलड़ा ई
ताब इशक दी झलनी बड़ी औखी इशक गुरु ते जग सभ चेलड़ा ई
एथे छड ईमान जे नस जावें अंत रोज किआमते मेलड़ा ई

शब्दार्थ
<references/>