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71 / हीर / वारिस शाह

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बाप हम के पुछदा कौन हुंदा एह मुंडड़ा किस सरदार दा ए
हथ लाया पिंड ते दाग पैंदा एह महीं दे नहीं दरकार दा ए
सुघड़ चतर ते अकल दा कोट नढा महीं बहुत सम्भाल के चारदा ए
हिके नाल पयार दे हूंग दे के सोटा सिंग ते मूल ना मारदा ए
माल आपणा जान के सांभ लयावे कोई कम्म ना करे विगार दा ए
वसे नूर अल्लाह दा मुखड़े ते मुंहों रब्ब ही रब्ब चितारदा ए

शब्दार्थ
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