भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

72 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

केहड़े चौधरी दा पुतर कौन जातों किहा अकल शहूर<ref>समझ</ref> दा कोट<ref>बहुत समझदार</ref> है नी
एह नूं रिज़क ने किवें उदास कीता केहड़े पीर दी एसनूं ओट है नी
फौजदार वांगूं कर कूच धाना<ref>हमला करना</ref> जिवें मार नगारे दी चोट है नी
किनां जटां दा पोतरा है कौन हुंदा वतन एस दा केहड़ा कोट है नी

शब्दार्थ
<references/>