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72 / हीर / वारिस शाह
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केहड़े चौधरी दा पुतर कौन जातों किहा अकल शहूर<ref>समझ</ref> दा कोट<ref>बहुत समझदार</ref> है नी
एह नूं रिज़क ने किवें उदास कीता केहड़े पीर दी एसनूं ओट है नी
फौजदार वांगूं कर कूच धाना<ref>हमला करना</ref> जिवें मार नगारे दी चोट है नी
किनां जटां दा पोतरा है कौन हुंदा वतन एस दा केहड़ा कोट है नी
शब्दार्थ
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