अभिलाषा / कस्तूरी झा 'कोकिल'

हुनखा बिना अधूरा जीवन,
लागै छै भगवान।
हुनखा बिना खटहरा जीवन,
लागै छै हरदम।
हुनकेॅ चित्र हमेशा प्रभु जी।
आँखी मेॅ धूरै छै।
मोॅन करै छै देखथैं रहियै
कखनूँ नैं पूरै छै।
जगला पर ही याद पड़ै छै,
सुतला पर पुरखां सपना।
रंग-बिरंगा दृश्य हमेशा,
देखै छीयै अलबल घटना।
स्वप्न मिलन अब ताँय नैं होलै,
लागै छै हुनखा मोक्ष भेलै।
ई तॅ बढ़ियाँ बात खुशी केॅ,
जन्म मरण सेॅ मुक्ति भेलै।
कैहिया शरण लगैबै हमरा!
कुछ बतलैइए कृपा निधान।
तब ताँय अमर काव्य रचना लेल
कोकिल केॅ देतियै वरदान।
भक्ति चरण में शक्ति कलम मेॅ
मन में उच्च बिचार दियै।
परोपकार मेॅ जीवन लागै
दिल मेॅ सब लेॅ प्यार दियै।
अनगिन भूल चूक केॅ खातिर
क्षमा याचना दया निधान।
महामिलन होय पंच तत्व में,
गेंठ जोड़ि करियै परणाम।

27/07/15 पूर्वाहन 10.35 बजे

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