रिस्ता / मधु आचार्य 'आशावादी'

उण दिन
बो आयो खतावळो
करण लाग्यो मन री बातां
म्हारो बेली हो खास
इण खातर म्हैं ई पूरी सूणी बातां
म्हैं जद काम नीं करण री
सुणाई बातां
उण आखरां री
हियै मांय अैड़ी मारी लात
अेक मिनट मांय बदळग्यो
रिस्तो
जिण खातर आखाी जूण रैयो
पिसतो
उण सिखाय दी
हद मांय रैवण री सीख
रिस्तै मांय रैवै स्वारथ री भीख
मन नै थ्यावस दियो
जागग्या जणै ई दिन
रिस्ता खाली करावै
ताक धिना धिन।

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