जयप्रकाश त्रिपाठी
जन्म | 28 मई1956 |
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जन्म स्थान | आजमगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
ईश्वर तुम नहीं हो, तुक-बेतुक (दोनों कविता-संग्रह) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
जयप्रकाश त्रिपाठी / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- अब का तुक्का-पुक्का फाड़ो / जयप्रकाश त्रिपाठी
- अशेष समर / जयप्रकाश त्रिपाठी
- आएँ नहीं जाएँ, प्राण करें धुक-धुक / जयप्रकाश त्रिपाठी
- आगे-आगे कौवा नाचैं, पीछे से मुँहझौवा नाचैं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- आह से उपजा गान / जयप्रकाश त्रिपाठी
- एक दिवस और / जयप्रकाश त्रिपाठी
- कोठी वाले बम्मड़जी / जयप्रकाश त्रिपाठी
- खौल रहा मन / जयप्रकाश त्रिपाठी
- ग़रीबों की होली / जयप्रकाश त्रिपाठी
- घड़ी-घड़ी उम्मीदें / जयप्रकाश त्रिपाठी
- घाव हरे कोई सहला गया / जयप्रकाश त्रिपाठी
- चलो, मेला चलें / जयप्रकाश त्रिपाठी
- चिर्रा चिर्री चीं-चीं-चीं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- जग के सब दुखियारे रस्ते मेरे हैं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है / जयप्रकाश त्रिपाठी
- ताँत यह कितना गझिन / जयप्रकाश त्रिपाठी
- तेरे उस हर कण से नफ़रत / जयप्रकाश त्रिपाठी
- तेल देखिए और तेल की धार देखिए / जयप्रकाश त्रिपाठी
- तो हर दिन ऐसा क्यों होता ! / जयप्रकाश त्रिपाठी
- दर्द के कारवाँ गुज़रते रहे / जयप्रकाश त्रिपाठी
- दोहे / जयप्रकाश त्रिपाठी
- धूप बड़ी तेज़ है / जयप्रकाश त्रिपाठी
- पटक-पटककर मार रही महँगाई / जयप्रकाश त्रिपाठी
- पढ़ो- पढ़ो अख़बार पढ़ो, समाचार दुमदार पढ़ो / जयप्रकाश त्रिपाठी
- पत्तल चाटो / जयप्रकाश त्रिपाठी
- भागो-भागो रँग लिए महँगाई डायन आई है / जयप्रकाश त्रिपाठी
- मुट्ठी-भर गिरवी दिन / जयप्रकाश त्रिपाठी
- मेरे पास, उनके पास / जयप्रकाश त्रिपाठी
- मेरे शब्दों में पर सुर्खाब के / जयप्रकाश त्रिपाठी
- मैंने अपना खोवा कूटा / जयप्रकाश त्रिपाठी
- याद आई तो याद आई बहुत / जयप्रकाश त्रिपाठी
- ये लपट, ये धुआँ / जयप्रकाश त्रिपाठी
- रोज़-रोज़ का मरना, जीना कितनी बार / जयप्रकाश त्रिपाठी
- लड़ती हुई लड़की / जयप्रकाश त्रिपाठी
- लूटा यश, क्या अपयश लूटा / जयप्रकाश त्रिपाठी
- वक़्त को मोड़ें / जयप्रकाश त्रिपाठी
- वक़्त बह गया / जयप्रकाश त्रिपाठी
- वह अपनी मौत मरेगा / जयप्रकाश त्रिपाठी
- वह देश पर मचलता है / जयप्रकाश त्रिपाठी
- सपने में तिरबेनी काका पैसा-पैसा चिल्लाते हैं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- सफ़र के अन्धेरे / जयप्रकाश त्रिपाठी
- सुबह-शाम / जयप्रकाश त्रिपाठी
- हम उसकी नहीं सुनते / जयप्रकाश त्रिपाठी
- हवा, धूप, पानी से बातें दो-चार / जयप्रकाश त्रिपाठी
- हँस रहा हूँ वक़्त पर / जयप्रकाश त्रिपाठी
ग़ज़लें
- आसमाँ हरसिंगार लगता है / जयप्रकाश त्रिपाठी
- कितना अपना हूँ मैं, पराया हूँ / जयप्रकाश त्रिपाठी
- आज उसके काफ़िये हैं तंग कितने / जयप्रकाश त्रिपाठी
- क्यों नहीं होश में रहना चाहे / जयप्रकाश त्रिपाठी
- उधर कितने लोग हैं, कितना अकेलापन इधर / जयप्रकाश त्रिपाठी
- दो तरह के सच में जो फ़र्क है / जयप्रकाश त्रिपाठी
- फिर न कहना कि मुझे भूल से पहचाना नहीं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- पसलियों को कस लिया है एक अजगर ने / जयप्रकाश त्रिपाठी
- जैसे कि ज़हर घुल गया हो जाफ़रान में / जयप्रकाश त्रिपाठी
- जो चाहो, इन्तज़ाम करो, अपनी बला से / जयप्रकाश त्रिपाठी
- होश में हैं कि नहीं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- ख़ुद के ख़िलाफ़ / जयप्रकाश त्रिपाठी
- चलेगा तो चूम लेगी राह तेरे भी क़दम / जयप्रकाश त्रिपाठी
- जो ज़िन्दा हैं, मैं उनमें हूँ / जयप्रकाश त्रिपाठी
- जो फ़सलें बो रहा हूँ, जो उगा रहा हूँ मैं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- उनमें मौजूद हूँ मैं / जयप्रकाश त्रिपाठी
- आज क्यों इस तरह से पास मेरे आई सुबह / जयप्रकाश त्रिपाठी
- कहर से लड़ते मुफ़लिसों के गीत गाता रहा / जयप्रकाश त्रिपाठी