भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
नींद उस बच्चे की
जिसे परियाँ खिला रहीं हैं
नींद उस किसान की
जो रात भरúभर
बिवाई की तरह फटे खेतों में
हल जोतकर लौटा है अभी
नींद उस युवती की
जिसके अन्दर
सपनों का समुन्द्र समुद्र पछाड़ खा रहा है
नींद उस बूढ़े की