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"मौन निमंत्रण / पवन कुमार मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मधुवन को भीनी ख़ुशबू से
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मधुबन को भीनी ख़ुशबू से
 
महकाए जब रजनीगंधा
 
महकाए जब रजनीगंधा
 
अम्बर में तारो संग-संग
 
अम्बर में तारो संग-संग

13:05, 14 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

मधुबन को भीनी ख़ुशबू से
महकाए जब रजनीगंधा
अम्बर में तारो संग-संग
इतराए इठलाए चंदा
मुसकाते बलखाते झरने
लगे सुनाने गीत सुहाने
उनकी धुन पर ढलकी जाए
लोरी गाए जब संझा
मौन निमंत्रण मेरा प्रियतम
आ जाओ बन आनंदा
दीप बुझे जब जग के सारे
मन में दीप जलाना तुम
बुलबुल गीत सुनाती है तब
हौले से कदम बढ़ाना तुम
चौकड़िया भरते मृगशावक
राह दिखायेगे तुमको
मेरी बंशी की धुन
मेरा पता बताएगी तुमको
मधुर रागिनी सुनकर आली
आना तुम बन वृंदा
मौन निमंत्रण मेरा प्रियतम
आ जाओ बन आनंदा