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"कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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− | कितना है दम चराग़ में, | + | जब कोई ओट भी न रहे और हवा चले |
− | + | कितना है दम चराग़ में, कुछ तो पता चले | |
− | + | तुझसे मिला था जो कभी, तुझको ही सौंप दूँ | |
− | + | दर पर तेरे इसी लिए आँसू गिरा चले | |
नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है | नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है | ||
− | अब कौन लेके | + | अब कौन लेके परचम-ए- अमनो-वफ़ा चले |
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर | चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर | ||
− | + | फिर ज़िंदगी में सिर्फ सज़ा ही सज़ा चले | |
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+ | खंजर लिये खड़े हों अगर मीत हाथ में | ||
+ | कोई हमें बताए वहाँ क्या दुआ चले | ||
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+ | जब ख़्वाब रूठ कर गए, 'श्रद्धा' ने ये कहा | ||
+ | अब गुफ़्तगू के दौर चले, रतजगा चले | ||
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11:28, 15 दिसम्बर 2010 का अवतरण
जब कोई ओट भी न रहे और हवा चले
कितना है दम चराग़ में, कुछ तो पता चले
तुझसे मिला था जो कभी, तुझको ही सौंप दूँ
दर पर तेरे इसी लिए आँसू गिरा चले
नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है
अब कौन लेके परचम-ए- अमनो-वफ़ा चले
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
फिर ज़िंदगी में सिर्फ सज़ा ही सज़ा चले
खंजर लिये खड़े हों अगर मीत हाथ में
कोई हमें बताए वहाँ क्या दुआ चले
जब ख़्वाब रूठ कर गए, 'श्रद्धा' ने ये कहा
अब गुफ़्तगू के दौर चले, रतजगा चले