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"दूर होने दो अँधेरा / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
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+ | चूर होने दो ।। | ||
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13:04, 4 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
दूर
होने दो अँधेरा
अब घरों से
दूर होने दो ।
और ताज़ा कर सके
माहौल को जो
साज़ ऐसा दो
बाँध ले
गिरते समय के मूल्य को
अंदाज़ ऐसा दो
आग बोओ
और काटो
रोशनी भरपूर होने दो ।।
हम सँवारेंगे
हरे पन्ने
गुलाबी धूप के अक्षर
दूर तक
गूँजे दिशाओं में
पसीने के उभरते स्वर
कल खिलेगा
और तोड़ो पर्वतों को
चूर होने दो ।।