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09:46, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
न देख तू मुझे
मेरी आँखों से घूरकर,
तिरछी भवें ताने;
डरता हूँ मैं तुझसे
ओ मेरे दुश्मन शीशे!
रचनाकाल: ०४-०२-१९६१