भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जहाँ गिरा वह सूर्य / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)
 
छो ("जहाँ गिरा वह सूर्य / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

13:39, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

जहाँ निराला मरे
वहाँ अब मरे न कोई
जहाँ गिरा वह सूर्य
वहाँ अब गिरे न कोई

नव वसंत में
इस युग के इस अमर-प्राण का
युग वंदन हो
सुभग सुमन से अभिनंदन हो।

वह था साधक
बहुत लोग थे उसके बाधक
फिर भी जिसने ऐंड़ लगाई
मिट्टी खाई

नव वसंत में
इस युग के इस प्रवर प्राण का
आराधन हो
वर्ण-वर्ण से अभिवादन हो।

रचनाकाल: १२-०२-१९६२