भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फूल हो गई हँसी / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)
 
छो ("फूल हो गई हँसी / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

17:25, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

फूल
हो गई हँसी
रात के सितारों की
दिन हुए
पेड़
और
पेड़ खिलखिलाए हैं

काल
और काम की
डसी
जिंदगी जागी,
हर्ष
और
हास के
हर्म्य
महमहाए हैं

नाश की
निशा गई,
नींद का नशा टूटा,
जागरण के
पंथ
पंथी
तमतमाए हैं

रचनाकाल: ०२-०४-१९७०