translation of rath yoom kahane lag achand by ramdhari singh dinkar plz mail to h_hasin@yahoo.com
[[Category:कविता कोश]]
यदि आप किसी कविता विशेष को खोज रहे हैं तो उस कविता के बारे में आप इस पन्ने पर लिख सकते हैं। कविता के बारे में जितनी सूचना आप दे सकते हैं उतनी अवश्य दें -जैसे कि कविता का शीर्षक और लेखक का नाम।<br><br>
यदि आप में से किसी के पास इस पन्ने पर अनुरोधित कोई कविता है तो कृपया उसे इस पन्ने के अंत में जोड़ दें -अथवा उसे kavitakosh@gmail.com पर भेज दें। आपका यह योगदान प्रशंसनीय होगा।<br><br>
<center><b>इस पन्ने पर से आप कुछ भी मिटायें नहीं -आप इसमें जो जोड़ना चाहते हैं वह इस पन्ने के अंत में जोड़ दें।</b><br><br> <center>||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||</b><br><br></center>
<b>निम्नलिखित कविताओं की आवश्यकता है:</b>* निराशावादी (लेखक: [[हरिवंशराय बच्चन]])* ना मैं सो रहा हूँ ना तुम सो रही हो, मगर बीच में यामिनी ढल रही है (लेखक: [[हरिवंशराय बच्चन]])* hum karen rashtra aaradhan (lekhak: [[jai shankar prasad]])* मैं तो वही खिलौना लूँगा (शब्द कुछ कुछ ऐसे हैं और लेखिका शायद सुभद्राकुमारी चौहान हैं) --रोहित द्वारा अनुरोधित --[[ललित कुमार]] <br><br>अनुरोधित गीत hr color="हम करें राष्ट्र आराधनred" को मैं नीचे लिख रहा हूँ। पाठक इस गीत के लेखक के नाम की पुष्टि करें। ---- [[ललित कुमार]]<br><br> हम करें राष्ट्र आराधन<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br>तन से मन से धन से<br>तन मन धन जीवन से<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br> अन्तर से मुख से कृति से<br>निश्छल हो निर्मल मति से<br>श्रद्धा से मस्तक नत से<br>हम करें राष्ट्र अभिवादन<br><br> हम करें राष्ट्र अभिवादन<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br> अपने हँसते शैशव से<br>अपने खिलते यौवन से<br>प्रौढता पूर्ण जीवन से<br>हम करें राष्ट्र तुलसीदास का अर्चन<br><br> हम करें राष्ट्र का अर्चन<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br> अपने अतीत को पढ़ कर<br>अपना इतिहास उलट कर<br>अपना भवितव्य समझ कर<br>हम करें राष्ट्र का चिंतन<br><br> हम करें राष्ट्र का चिंतन<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br> है याद हमें युगदोहा -युग की<br>जलती अनेक घटनायें<br>जो माँ के सेवा पथ पर<br>आयी बन कर विपदायें<br><br> हमनें अभिषेक किया था<br>जननी का अरि शोणित से<br>हमने श्रृंगार किया था<br>माता का अरि मुंडो से<br><br> हमने आवत ही उसे दिया थाहरशै नहीं , नैनं नहीं सनेह | <br>सांस्कृतिक उच्च सिंहासनतुलसी तहा न जाईये , चाहे कंचन बरसे मेह || <br>माँ जिस पर बैठी सुख कहाँ से<br>करती थी जग का शासन<br><br> अब काल चक्र की गति से<br>वह टूट लिया गया सिंहासन<br>अपना तन मन धन दे कर<br>हम करें पुन: संस्थापन<br><br> हम करें पुन: संस्थापन<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br> हम करें राष्ट्र आराधन<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br>तन से मन से धन से<br>तन मन धन जीवन से<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br> ---- '''भारत-भारती''' की इन कविताओं को जोड़ने का कष्ट करें। -- अनुनाद १। मानस भवन में आर्य जन जिसकी उतारें आरती भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती| हो भव्य भावोद्भाविनी ये भारती हे भगवते सीतापते, सीतापते गीतामते, गीतामते। २। हम कौन थे क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी आओ बिचारें आज मिल कर ये समस्याएं सभी। ३। केवल पतंग विहंगमों में जलचरों में नाव ही बस भोजनार्थ चतुष्पदों में चारपाई बच रही। ४। श्रीमान शिक्षा दें अगर तो श्रीमती कहतीं यही छेड़ो न लल्ला को हमारे नौकरी करनी नहीं। शिक्षे, तुम्हारा नाश हो तुम नौकरी के हित बनी। लो, मूर्खते जीवित रहो रक्षक तुम्हारे हैं धनी। --- अब तो उठो, हे बंधुओं! निज देश की जय बोल दो; बनने लगें सब वस्तुएं, कल-कारखाने खोल दो। जावे यहां से और कच्चा माल अब बाहर नहीं - हो 'मेड इन' के बाद बस 'इण्डिया' ही सब कहीं।' भारत-भारती, भ.खण्ड 80, पृ. 154 श्री गोखले गांधी-सदृश नेता महा मतिमान है, वक्ता विजय-घोषक हमारे श्री सुरेन्द्र समान है। भारत-भारती, भविष्य खण्ड 128, पृ.163?