translation of rath yoom kahane lag achand by ramdhari singh dinkar plz mail to h_hasin@yahoo.com
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<bhr color="red">निम्नलिखित कविताओं की आवश्यकता है:तुलसीदास का दोहा - </bbr>* निराशावादी (लेखक: [[हरिवंशराय बच्चन]])* ना मैं सो रहा हूँ ना तुम सो रही होआवत ही हरशै नहीं , मगर बीच में यामिनी ढल रही है (लेखक: [[हरिवंशराय बच्चन]])* hum karen rashtra aaradhan (lekhak: [[jai shankar prasad]])* मैं तो वही खिलौना लूँगा (शब्द कुछ कुछ ऐसे हैं और लेखिका शायद सुभद्राकुमारी चौहान हैं) --रोहित द्वारा अनुरोधित --[[ललित कुमार]]* Thaal sajaakar kise poojane, Chale pratahee matawaale Kahaan chale tum raam naam kaa Peetamber tan par daale -- Himansu Pathak dwara anurodhit ---- '''भारत-भारती''' की इन कविताओं को जोड़ने का कष्ट करें। -- अनुनाद १। मानस भवन में आर्य जन जिसकी उतारें आरती भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारतीनैनं नहीं सनेह |<br> हो भव्य भावोद्भाविनी ये भारती हे भगवते सीतापते, सीतापते गीतामते, गीतामते। २। हम कौन थे क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी आओ बिचारें आज मिल कर ये समस्याएं सभी। ३। केवल पतंग विहंगमों में जलचरों में नाव ही बस भोजनार्थ चतुष्पदों में चारपाई बच रही। ४। श्रीमान शिक्षा दें अगर तो श्रीमती कहतीं यही छेड़ो तुलसी तहा न लल्ला को हमारे नौकरी करनी नहीं। शिक्षेजाईये , तुम्हारा नाश होचाहे कंचन बरसे मेह || <br> तुम नौकरी के हित बनी। लो, मूर्खते जीवित रहो रक्षक तुम्हारे हैं धनी। --- अब तो उठो, हे बंधुओं! निज देश की जय बोल दो; बनने लगें सब वस्तुएं, कल-कारखाने खोल दो। जावे यहां कहाँ से और कच्चा माल अब बाहर नहीं - हो 'मेड इन' के बाद बस 'इण्डिया' ही सब कहीं।' भारत-भारती, भ.खण्ड 80, पृ. 154 श्री गोखले गांधी-सदृश नेता महा मतिमान लिया गया है, वक्ता विजय-घोषक हमारे श्री सुरेन्द्र समान है। भारत-भारती, भविष्य खण्ड 128, पृ.163?