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23:23, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
लड़ा नहीं है, अपनी मैंने जोट न पाई;
पुण्य प्रकृति की ललित कला ही मुझको भाई;
जीवन-अग्नि जलाई-मैंने देह तपाई,
मंद हुई वह अग्नि, बुझी, दो मुझे विदाई।
डब्ल्यू एस लेंटर की कविता का अनुवाद
रचनाकाल: १२-०८-५६