भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता जो न सार्थक हो / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=खुली आँखें खुले डैने / …) |
छो ("कविता जो न सार्थक हो / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:48, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
कविता
जो न सार्थक हो-
न सटीक हो-
न बोधक हो-
न बेधक हो
मैं नहीं लिखता
ऐसी कविता
जो न
आदमी के पहिचान की हो
न सत्यालोकित संज्ञान की हो।
रचनाकाल: ०९-०३-१९८०