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"अच्छा लगता है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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अच्छा लगता है
जब कोई
बच्चा खिल-खिल
हँसता है।
वैभव का विष
तुरत उतरता है।
जीने में
सचमुच जीने का
सुख मिलता है।
रचनाकाल: १७-०३-१९९१