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"एक देह / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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22:42, 29 दिसम्बर 2007 का अवतरण
त्वचा आवाज़ों को सुनती है
ख़ामोशी की अपनी एक देह है
पैरों में भी निवास करती हैं संवेदनाएँ
पीठ की अपनी ही एक कहानी है
अभी-अभी दबी हथेली का
धीरे-धीरे उभरना
कुछ कहता है देर तक
(1990 में रचित)