"ओ मेरे सनम / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | इस दुनिया से अनजान है हम | ||
+ | एक दिल के दो अरमान हैं हम | ||
+ | ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम | ||
− | + | सुनते हैं प्यार की दुनिया में | |
− | + | दो दिल मुश्किल से समाते हैं | |
− | + | क्या गैर वहां अपनों तक के | |
− | + | संग भी ना आने पाते हैं - २ | |
− | + | हमने आखिर क्या देख लिया | |
− | + | क्या बात है क्यों हैरान है हम | |
− | एक दिल के दो अरमान हैं हम | + | एक दिल के दो अरमान हैं हम |
− | ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम | + | ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम |
− | + | मेरे अपने, अपना ये मिलन | |
− | + | संगम है ये गंगा जमुना का | |
− | + | जो सच है सामने आया है | |
− | + | जो बीत गया एक सपना था - २ | |
− | + | ये धरती है इन्सानों की | |
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22:30, 15 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
तन सौंप दिया, मन सौंप दिया
कुछ और तो मेरे पास नहीं
जो तुम से है मेरे हमदम
भगवान से भी वो आस नहीं - २
जिस दिन से हुए एक दूजे के
इस दुनिया से अनजान है हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
सुनते हैं प्यार की दुनिया में
दो दिल मुश्किल से समाते हैं
क्या गैर वहां अपनों तक के
संग भी ना आने पाते हैं - २
हमने आखिर क्या देख लिया
क्या बात है क्यों हैरान है हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
मेरे अपने, अपना ये मिलन
संगम है ये गंगा जमुना का
जो सच है सामने आया है
जो बीत गया एक सपना था - २
ये धरती है इन्सानों की
कुछ और नहीं इन्सान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम