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"कविता / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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लिख काढै- कविता ।
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बणा'र बगा देवै- कविता ।
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लखदाद है बां नै
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जिका झट देणी
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नक्की हुवै- कविता सूं ।
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रामजी !
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माफ करजो म्हनै
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कविता म्हारै सारू
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ऐड़ी-वैड़ी बात नीं है ।
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क्यूं कै म्हैं
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कसमसीजतो-कसमसीजतो सीझ परो
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फगत लिखूं कीं ओळ्यां
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अर मुगती पाऊं
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उमर री पीड़ सूं
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काढूं कांटा डील सूं
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अर उण पीड़ पाछलै
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सुख नै
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जद जद भोगूं
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लोग कैवै-
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लिखी है कविता ।</poem>

04:33, 19 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

लखदाद है बां नै
जिका झट देणी
घड़ काढै- कविता ।

लखदाद है बां नै
जिका झट देणी
लिख काढै- कविता ।

लखदाद है बां नै
जिका झट देणी
बणा'र बगा देवै- कविता ।

लखदाद है बां नै
जिका झट देणी
नक्की हुवै- कविता सूं ।

रामजी !
माफ करजो म्हनै
कविता म्हारै सारू
ऐड़ी-वैड़ी बात नीं है ।

क्यूं कै म्हैं
कसमसीजतो-कसमसीजतो सीझ परो
फगत लिखूं कीं ओळ्यां
अर मुगती पाऊं
उमर री पीड़ सूं
काढूं कांटा डील सूं
अर उण पीड़ पाछलै
सुख नै
जद जद भोगूं
लोग कैवै-
लिखी है कविता ।