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"निशान / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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18:34, 19 मई 2008 का अवतरण
फिर शायद कभी कुछ न सोचूँ
काम में इतना बझ जाऊँगा
कि कभी याद भी शायद न आए
पर निशान तो रह ही जाएगा
जैसे पपीते के पूरे शरीर पर
खाँच
हर पत्ते के टूटने की--
हर क़दम की मोच
वैसे ही केवल निशान