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हाय मेरी वेदना को पर न कोई गा सका।
भारत में सनसनीखेज खुलासे करने के लिये विख्यात '''‘तहलका’ ''' पत्रिका द्वारा हाल ही 2011 में उत्तराखंड के दस महानायकों की सूची में कविवर चंद्र कुंवर बर्त्वाल को स्थान देते हुये लिखा गया हैः-
हिंदी साहित्य में छायावाद के प्रतीक कविवर सुमित्रानंदन पंत तो देश दुनिया के साहित्य जगत में प्रसिद्व हैं ही इसलिये तहलका ने चुना हिमवंत के कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल को जिन्होंने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना दे दिया था। समीक्षक चंद्र कुंवर बर्त्वाल को हिंदी का कालिदास मानते हैं।
प्रारंभ में वे '''‘रसिक ''' नाम से लिखते थे।
कविवर चंद्र कुंवर बर्त्वाल की डायरी में एक स्थान पर लिखा हैः-
यह श्रेय उनके तित्र पं0 शम्भू प्रसाद बहुगुणा को मिला। अब डा0 उमाशंकर सतीश ने भी उनकी 269 कविताओं व गीतों का प्रकाशन किया हेै। कवि का कृतित्व इस प्रकार है।
1-'''पयस्विनी, ''' 350 कविताओं का पं0 शंभूप्रसाद बहुगुणा द्वारा संपादित संकलन
2-'''म्ेाधनन्दिनी''', तीन भागों में संपादित संकलन 1953
3-'''जीतू, ''' 100 कविताओं का संकलन 1951 प्रकाशक शंभूप्रसाद बहुगुणा ,आई टी कालेज लखनऊ
4-'''कंकड- पत्थर, ''' 70 कविताओं का संकलन
5-'''गीत माधवी, ''' 60 गीतों का संकलन ,प्रकाशक कुसुमपाल नीहारिका राय विहारी रोड़,लखनऊ
6-'''प्रणयिनी, ''' तीन एकांकियों का संकलन, प्रकाशक कुसुमपाल नीहारिका राय विहारी रोड़,लखनऊ
'''7-''''''विराट-ज्योति, ''' 34 प्रगतिशील कविताओं का संकलन
8-'''नागिनी, ''' गद्य कृतियों का पं0 शंभूप्रसाद बहुगुणा द्वारा संपादित संकलन
9-'''विराट-हृदय, ''' प्रकाशक अलनन्दा-मंदाकिनी प्रकाशन, लक्षमण भवन हुसैन गंज, लखनऊ
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