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− | जो पै रहनि रामसों नाहीं। | + | जो पै रहनि रामसों नाहीं। |
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− | काम, क्रोध, मद, लोभ, नींद, भय, भूक, प्यास सबहीके। | + | तौ नर खग कूकर सम बृथा जियत जग माहीं।। |
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मनुज देह सुर-साधु सराहत, सो सनेह सिय-पीके।। | मनुज देह सुर-साधु सराहत, सो सनेह सिय-पीके।। | ||
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सुर, सुजान, सुपूत, सुलच्छन गनियत गुन गरूआई। | सुर, सुजान, सुपूत, सुलच्छन गनियत गुन गरूआई। | ||
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कीरति कुल करतूति, भूति भलि, सील सरूप सलोने । | कीरति कुल करतूति, भूति भलि, सील सरूप सलोने । | ||
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तुलसी प्रभु अनुराग-रहित जस सालन साग अलोने। | तुलसी प्रभु अनुराग-रहित जस सालन साग अलोने। | ||
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14:26, 11 मार्च 2011 का अवतरण
पद 171 से 180 तक
(175)
जो पै रहनि रामसों नाहीं।
तौ नर खग कूकर सम बृथा जियत जग माहीं।।
काम, क्रोध, मद, लोभ, नींद, भय, भूक, प्यास सबहीके।
मनुज देह सुर-साधु सराहत, सो सनेह सिय-पीके।।
सुर, सुजान, सुपूत, सुलच्छन गनियत गुन गरूआई।
बिनु हरिभजन इँदारूनके फल तजत नहीं करूआई ।
कीरति कुल करतूति, भूति भलि, सील सरूप सलोने ।
तुलसी प्रभु अनुराग-रहित जस सालन साग अलोने।