भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बसंत ऋतु / बेढब बनारसी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बेढब बनारसी }} {{KKCatKavita}} <poem> आगया मधुमास आली दिवसभर व…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=बेढब बनारसी
 
|रचनाकार=बेढब बनारसी
}}
+
}}{{KKAnthologyBasant}}
{{KKCatKavita}}
+
{{KKCatKavita‎}}
 
<poem>
 
<poem>
  
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
और आधी रात तक तो  
 
और आधी रात तक तो  
 
जागती है सास आली; आ गया मधुमास आली  
 
जागती है सास आली; आ गया मधुमास आली  
 +
 
जब कहा - मुझको दिखा दो  
 
जब कहा - मुझको दिखा दो  
 
एक दिन सिनेमा भला तो;
 
एक दिन सिनेमा भला तो;
 
बोल उठे संध्या समय  
 
बोल उठे संध्या समय  
 
लगता हमारा क्लास आली; आ गया मधुमास आली
 
लगता हमारा क्लास आली; आ गया मधुमास आली
 +
 
ढ़ाक और कचनार फूले  
 
ढ़ाक और कचनार फूले  
 
आम के भी बौर झूले  
 
आम के भी बौर झूले  
 
रट रहे हैं किन्तु वह  
 
रट रहे हैं किन्तु वह  
 
तद्धित-कृदंत-समास आली; आ गया मधुमास आली
 
तद्धित-कृदंत-समास आली; आ गया मधुमास आली
 +
 
'सेंट' माँगा; सोप माँगा,
 
'सेंट' माँगा; सोप माँगा,
 
ह्रदय को कुछ होप माँगा  
 
ह्रदय को कुछ होप माँगा  

18:41, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण


आगया मधुमास आली
दिवसभर वह पाठ पढ़ते
नित्य प्रातः हैं टहलते
और आधी रात तक तो
जागती है सास आली; आ गया मधुमास आली

जब कहा - मुझको दिखा दो
एक दिन सिनेमा भला तो;
बोल उठे संध्या समय
लगता हमारा क्लास आली; आ गया मधुमास आली

ढ़ाक और कचनार फूले
आम के भी बौर झूले
रट रहे हैं किन्तु वह
तद्धित-कृदंत-समास आली; आ गया मधुमास आली

'सेंट' माँगा; सोप माँगा,
ह्रदय को कुछ होप माँगा
हम यही कहते रहे --
हो जानी जब हम पास आली; आ गया मधुमास आली