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वसंतागम / आलोक श्रीवास्तव-२
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२
|संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२
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poem
Poem
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आज फिर मंजरियां खिली होंगी
हौले पांव रखता वसंत आया होगा
Pratishtha
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