सोते-सोते गठरी में
अपने हाथ डालकर
हफ्ते-भरपुरानी रोटियाँ टटोलते ऐसी हिफाज़त से आश्वस्त हो लेते गहरी नींद में जाकर कोठियों के कुत्तों संग पल दो पल रह लेतेतब, इतरते इस खुशकिस्मत पर वो तंदुरुस्त भिखमंगेये टर्र टर्र टर्राते टिटिहरे-से भिखमंगे,है नहीं कोई भीखानदानी भिखमंगे,जीभ पर हथेली रख पेट पर पथेली रख,रिरियाते-घिघियाते टिनही-सी छिपली में भूख परोस देते बदतमीज़ सेठाइनों के आवश्यक कर्मों केउत्पादन भिखमंगे राष्ट्रीय विकास केबरकत-से भिखमंगे गोरे हैं, चिट्टे भीलम्बे हैं. लट्ठे भी सींकिया हैं, पट्ठे भी नानाविध नस्लों केवैरायटी भिखमंगे शरणार्थी अम्माओं केब्राह्मणी कुंवारियों के ठकुराइन मनचलियों के जाए हुए. लाए हुएकरमजले, कलमुंहे कौव्वे-से भिखमंगे अमरीकी-यूरोपीय बीज थे हिन्दुस्तानी नग्नाओं में रोपित थेताज या रीगल या फाइव स्टार में झेली थी उनने भीनौमासीय पीड़ाएं,पीता था कमबख्त भ्रूण कोबेहया था स्साला वोमुआ नहीं, आ टपकापिच्च-पिच्च प्लेटफार्मों पर,कुत्तों ने पाला इन्हें,पनाह दी बिल्लियों नेतंग-तंग मांदों में क्या खाकर सांस बचीहवा पीकर उठ-बैठे,पुलिस की दुलत्तियों सेपैरों पर खड़े हुए,चल पड़े तो छिनैती की मेमों को धक्के दिएपर्स छीन, भाग लिएमौज भी उड़ाए खूब हेरोइनों में डूब-डूबसेकेण्ड-हैण्ड पैंटों मेंपान चबाए हुएबड़े-बड़े बाबुओं पररोब भी ग़ालिब किए,ये रोबदार, तेवरदारनक्शेबाज भिखमंगे पता नहीं कैसे ये एड्स या हेरोइनों से जराग्रस्त हो करके,चंद ही महीनों में भूख से, प्यास से गू-मूत खा करके पगलाए, बौराएलस्त-पस्त चलते हुए पाला और शीत के ग्रास बने भिखमंगेये कामग्रस्त, कालग्रस्तकायर-से भिखमंगे.