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वर्षा राग-2 / उदय प्रकाश

229 bytes added, 13:04, 31 मार्च 2011
|रचनाकार=उदय प्रकाश
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मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है
 
घड़ों-घड़ों पानी औटाओ, मूसलधार गिराओ
लेकिन सब चुपचाप करो, चिड़ियों को नहीं डराओ!
</poem>