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"चाँद सा प्यार / शीन काफ़ निज़ाम" के अवतरणों में अंतर

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तुम ने ठीक कहा था  
 
तुम ने ठीक कहा था  
उस दिन प्यार चाँद सा ही होता है  
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उस दिन -
और नहीं बढ़ने पाता है
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प्यार-- चाँद-सा ही होता है  
धीरे धीरे  
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और नहीं बढ़ने पाता तो
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धीरे-धीरे  
 
ख़ुद ही  
 
ख़ुद ही  
 
घटने लग जाता है  
 
घटने लग जाता है  
 
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22:45, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जाने कितने लम्हे बीते
जाने कितने साल हुए हैं
तुम से बिछड़े
जाने कितने
समझौतों के दाग़ लगे हैं
रूह पे' मेरी

जाने क्या-क्या सोचा मैंने
खोया, पाया
खोया मैंने
ज़ख्मों के जंगल पर लेकिन
आज
अभी तक हरियाली है

तुम ने ठीक कहा था
उस दिन -
प्यार-- चाँद-सा ही होता है
और नहीं बढ़ने पाता तो
धीरे-धीरे
ख़ुद ही
घटने लग जाता है