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"चांद से अनगिनत इच्छाएँ / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
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23:24, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
चाँद से अनगिनत इच्छाएँ साझी करता हूँ
चाँद ने मेरी बातें बहुत पहले सुन ली हैं
फिर भी कहता हूँ
और चाँद का हाथ
अपने बालों में अनुभव करता हूँ
चाँद ने काग़ज़ क़लम बढ़ाते हुए
कविताएँ लिखने को कहा है
सायरन बज रहा है ।