लेखक: [[गजानन माधव मुक्तिबोध]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=गजानन माधव मुक्तिबोध]]|संग्रह=तार सप्तक / अज्ञेय}}{{KKAnthologyDeath}}{{KKCatKavita}}<poem>घनी रात, बादल रिमझिम हैं, दिशा मूक, निस्तब्ध वनंतरव्यापक अंधकार में सिकुड़ी सोयी नर की बस्ती भयकरहै निस्तब्ध गगन, रोती-सी सरिता-धार चली गहराती,जीवन-लीला को समाप्त कर मरण-सेज पर है कोई नरबहुत संकुचित छोटा घर है, दीपालोकित फिर भी धुंधला,वधू मूर्छिता, पिता अर्ध-मृत, दुखिता माता स्पंदन-हीनघनी रात, बादल रिमझिम हैं, दिशा मूक, कवि का मन गीला"ये सब क्षनिक, क्षनिक जीवन है, मानव जीवन है क्षण-भंगुर" ।
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ऐसा मत कह मेरे कवि, इस क्षण संवेदन से हो आतुरजीवन चिंतन में निर्णय पर अकस्मात मत आ, ओ निर्मल !इस वीभत्स प्रसंग में रहो तुम अत्यंत स्वतंत्र निराकुलभ्रष्ट ना होने दो युग-युग की सतत साधना महाआराधनाइस क्षण-भर के दुख-भार से, रहो अविचिलित, रहो अचंचलअंतरदीपक के प्रकाश में विणत-प्रणत आत्मस्य रहो तुमजीवन के इस गहन अटल के लिये मृत्यु का अर्थ कहो तुम ।
घनी रात, बादल रिमझिम हैं, दिशा मूक, निस्तब्ध वनंतर<br>व्यापक अंधकार में सिकुड़ी सोयी नर की बस्ती भयकर<br>है निस्तब्ध गगन, रोती-सी सरिता-धार चली गहराती,<br>जीवन-लीला को समाप्त कर मरण-सेज पर है कोई नर<br>बहुत संकुचित छोटा घर है, दीपालोकित फिर भी धुंधला,<br>वधू मूर्छिता, पिता अर्ध-मृत, दुखिता माता स्पंदन-हीन<br>घनी रात, बादल रिमझिम हैं, दिशा मूक, कवि का मन गीला<br>"ये सब क्षनिक, क्षनिक जीवन है, मानव जीवन है क्षण-भंगुर" ।<br><br> ऐसा मत कह मेरे कवि, इस क्षण संवेदन से हो आतुर<br>जीवन चिंतन में निर्णय पर अकस्मात मत आ, ओ निर्मल !<br>इस वीभत्स प्रसंग में रहो तुम अत्यंत स्वतंत्र निराकुल<br>भ्रष्ट ना होने दो युग-युग की सतत साधना महाआराधना<br>इस क्षण-भर के दुख-भार से, रहो अविचिलित, रहो अचंचल<br>अंतरदीपक के प्रकाश में विणत-प्रणत आत्मस्य रहो तुम<br>जीवन के इस गहन अटल के लिये मृत्यु का अर्थ कहो तुम ।<br><br> क्षण-भंगुरता के इस क्षण में जीवन की गति, जीवन का स्वर<br>दो सौ वर्ष आयु होती तो क्या अधिक सुखी होता नर?<br>इसी अमर धारा के आगे बहने के हित ये सब नश्वर,<br>सृजनशील जीवन के स्वर में गाओ मरण-गीत तुम सुंदर<br>तुम कवि हो, यह फैल चले मृदु गीत निर्बल मानव के घर-घर<br>ज्योतित हों मुख नवम आशा से, जीवन की गति, जीवन का स्वर ।<br><br/poem>