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"मौत-1 / प्रेम साहिल" के अवतरणों में अंतर

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साँस लेते ही
 
साँस लेते ही

02:06, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

साँस लेते ही
शुरू हो जाता है वह नरक
जिसे लोग जीवन कहते हैं

हर नरक किसी स्वर्ग की आस में ढोते हैं लोग

जीव के कोख में पड़ते ही
कोख में पड़ जाती है उसकी मौत भी
जीव के पैदा होते ही पैदा हो जाती है जो
बेशक नज़र नहीं आती, लेकिन
उसकी आहट तो सुनाई देती है जीव की साँसों में

साँस लेने ही से तो
शुरू हो जाता है वह नरक
जिसे लोग जीवन कहते हैं

हर नरक किसी स्वर्ग की आस में ढोते हैं लोग
जीव के कोख में पड़ते ही
कोख में पड़ जाता है उसका स्वर्ग भी
जिसे लोग मौत कहते हैं