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"क़ौस ए कुज़ाह / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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उस कमाँ से वो  तीर आते हैं  
 
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जो नज़र की ख़लिश मिटाते हैं
 
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07:09, 7 अप्रैल 2011 का अवतरण

              
मेहर ए रोशन की आख़िरी किरणें
रक़स करती हैं काले बादल में
उन शुआओं से रंग गिरते हैं
और दोश ए हवा पे फिरते हैं
और बनाते हैं आसमाँ पे कमाँ
रंगज़ा, रंगबार ओ रंगअफ़शाँ
उस कमाँ से वो तीर आते हैं
जो नज़र की ख़लिश मिटाते हैं