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"वे किशोर नयन / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
 
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उसके वे नयन जो किशोर हैं,
 
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रूप के विभोर जो चकोर हैं,
 
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ऐसा कुछ
ऎसा कुछ
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            आज मुझे भा गए--
 
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::आज मुझे भा गए--
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कि बावरा बना गए !
 
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आह ! मुझे
 
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म्लान हुए हार-सा
 
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उतार गए ।
 
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10:59, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

उसके वे नयन जो किशोर हैं,
रूप के विभोर जो चकोर हैं,
ऐसा कुछ
            आज मुझे भा गए--
कि बावरा बना गए !
आह ! मुझे
प्यार की पुकार से
          निहार गए,
          और मुझे
म्लान हुए हार-सा
उतार गए ।