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राधा कृष्ण मिलन / सूरदास

36 bytes added, 14:25, 18 अप्रैल 2011
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|रचनाकार=सूरदास
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हरि सौं बूझति रुकमिनि इनमैं को बृषभानु किसोरी ।<br>
बारक हमै दिखावहु अपने, बालापन की जोरी ॥<br>