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"कवि / वरवर राव" के अवतरणों में अंतर
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'''बैंजामिन मालेस की याद में''' | '''बैंजामिन मालेस की याद में''' | ||
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जब प्रतिगामी युग धर्म | जब प्रतिगामी युग धर्म | ||
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घोंटता है वक़्त के उमड़ते बादलों का गला | घोंटता है वक़्त के उमड़ते बादलों का गला | ||
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तब न ख़ून बहता है | तब न ख़ून बहता है | ||
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न आँसू । | न आँसू । | ||
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वज्र बन कर गिरती है बिजली | वज्र बन कर गिरती है बिजली | ||
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उठता है वर्षा की बूंदों से तूफ़ान... | उठता है वर्षा की बूंदों से तूफ़ान... | ||
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पोंछती है माँ धरती अपने आँसू | पोंछती है माँ धरती अपने आँसू | ||
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जेल की सलाखों से बाहर आता है | जेल की सलाखों से बाहर आता है | ||
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कवि का सन्देश गीत बनकर । | कवि का सन्देश गीत बनकर । | ||
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कब डरता है दुश्मन कवि से ? | कब डरता है दुश्मन कवि से ? | ||
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जब कवि के गीत अस्त्र बन जाते हिं | जब कवि के गीत अस्त्र बन जाते हिं | ||
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वह कै़द कर लेता है कवि को । | वह कै़द कर लेता है कवि को । | ||
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फाँसी पर चढ़ाता है | फाँसी पर चढ़ाता है | ||
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फाँसी के तख़्ते के एक ओर होती है सरकार | फाँसी के तख़्ते के एक ओर होती है सरकार | ||
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दूसरी ओर अमरता | दूसरी ओर अमरता | ||
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कवि जीता है अपने गीतों में | कवि जीता है अपने गीतों में | ||
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और गीत जीता है जनता के हृदयों में । | और गीत जीता है जनता के हृदयों में । | ||
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रचनाकाल : 23 अक्तूबर 1985 | रचनाकाल : 23 अक्तूबर 1985 | ||
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12:27, 20 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
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बैंजामिन मालेस की याद में
जब प्रतिगामी युग धर्म
घोंटता है वक़्त के उमड़ते बादलों का गला
तब न ख़ून बहता है
न आँसू ।
वज्र बन कर गिरती है बिजली
उठता है वर्षा की बूंदों से तूफ़ान...
पोंछती है माँ धरती अपने आँसू
जेल की सलाखों से बाहर आता है
कवि का सन्देश गीत बनकर ।
कब डरता है दुश्मन कवि से ?
जब कवि के गीत अस्त्र बन जाते हिं
वह कै़द कर लेता है कवि को ।
फाँसी पर चढ़ाता है
फाँसी के तख़्ते के एक ओर होती है सरकार
दूसरी ओर अमरता
कवि जीता है अपने गीतों में
और गीत जीता है जनता के हृदयों में ।
रचनाकाल : 23 अक्तूबर 1985